उल्लास 

अरुणा शर्मा, email. : aruna.pks1@gmail.com


 


बरसाओ  एक बार फिर,


शब्दकलश से तुम 


शब्दों  के अमृत 


और 


छलकाओ कुछ बूँदे 


उमंग, उल्लास के


आने दो थोड़ा उजले श्वेत सूर्य रश्मियो को


 छा जाने दो हौले हौले समूचे कायनात में 


भरने दो नव रंग अपनेपन की हवाओं में 


यूँकि


बन जाए इन्द्रधनुष सतरंगी सुन्दर 


आसमानी कैनवस पर ख़ुशी के 


 


नोट- रिश्ता  चाहे कोई भी हो उसमें हम प्रत्येक में अपनेपन, उमंग व उल्लास का होना अत्यन्त आवश्यक


Popular posts from this blog

अभिशप्त कहानी

हिन्दी का वैश्विक महत्व

भारतीय साहित्य में अन्तर्निहित जीवन-मूल्य