..... खेल-खेल में ही सिखलाते,
परिस्थितियों से, जूझने का मन्त्र बताते,
मेरी थकी गीली आँखों में
नये स्वप्न जगाते,
पत्ते मेरे घर आये।
-उमा त्रिलोक
..... खेल-खेल में ही सिखलाते,
परिस्थितियों से, जूझने का मन्त्र बताते,
मेरी थकी गीली आँखों में
नये स्वप्न जगाते,
पत्ते मेरे घर आये।
-उमा त्रिलोक