उल्टा-पुल्टा
रमेश दवे, भोपाल, मो. 9406523071
रोना मत
नारों का ज़माना है,
मानो मत कोई मत
तम का जमाना है,
करो मत कोई नाटक
काटना पड़ता है
खुद को ही,
पीटो मत पुरानी लकीरें
टोपी बदल गई है
सिर में,
चलो लोच के साथ
डरो पर चलते चलते
मरो इस तरह
कि
रोम रोम जी उठे !