‘जिन्दगी लौटेगी’
मधुकमल जैन, गुरुग्राम, मो. 9350010586
पाबन्दियों का पहरा है,
इम्तहा अभी गहरा है,
रात घनेरी है
पौ फटने में अभी भी देरी है,
पर न हो बेकरार,
कर बस थोड़ा सा और इन्तजार!
न छोड़ सब्र का साथ
थाम कर रख धैर्य का हाथ,
न कर मास्क की उपेक्षा,
यही है अपनों की अपनों से अपेक्षा,
अनुशासित जीवन ही कर स्वीकार,
प्रलोभनों से न रख कोई सरोकार,
पार्टियों, भीड़ का तू कर बहिष्कार,
जिन्दगी लौटेगी
उसे तो लौटना ही है
वह लौटेगी
फिर होगा हर आंखों में उल्लास नया
जागेगा मन में विश्वास नया
फिर बहेगा जीवन में प्रवाह नया
छाएगा हर ओर मधुमास नया।