नया वर्ष 2021
नये वर्ष !
इस बार आहिस्ता बिना शोर
आ ही गये हो तो
एक तरफ बैठ रहो,
काल के प्रवाहों की
गिनती में जुड़ जाओ,
काल के प्रभाव-दुष्प्रभाव
की न बात करो !
याद रहे तुम्हें,
तुरत पहले जो साल रहा,
(वह सबको गया साल)
पापी हत्यारा था
अब तक का बेमिसाल,
वह उदार दुनिया से बचकर
कल निकल गया,
मांँ जैसी करुणा की धरती को
कुचल गया !
चीन के वुहान में जन्मी
मनुष्य-मार बीमारी कोरोना
वही उठा लाया था
रख अपने कंधों पर !
वहीं पली, बढ़ी, चढ़ी,
बनी वह मनुष्य-खोर
छुअन से मरण की
दुरन्त महामारी थी,
फैलती गयी तुरन्त
देती मरणान्त रोग, शोक, मुर्दनी अनन्त !
घूमी वह अर्धशतक से ज्यादा
देशों के नगर नगर
फैलाती मृत्यु और उकसाती
चिन्ताएं, शंकाएं, मूक-डर !
हत्या पर हत्याएं करके भी वह
कभी थकी न हारी थी !
सभी पर भारी थी !
जो मरा अकाल मौत
तड़पा भी, डरा भी
आज फिर मनुष्य वही
दूना उत्साही है !
गिरा चुका अब तक के
नाटक का,
वह, अन्तिम पर्दा है
- पटाक्षेप !
शुरु, संपूर्ण प्रायोगिक प्रवर्तन की
आमूल नयी खेप !
विज्ञानी सभ्यता दे रही
अब नयी दुनिया को
नयी सोच
नये दृष्टिकोणों के
नव प्रसंग,
कर चुकी दृढ़ता के
रक्षा के सब प्रबंध !
अपरिमेय साहस अध्यात्म
गहन लेकर सहज मनुष्य
सद्भाव संवेदन
पोंछ रहा जो भी तबाही की
बची-खुची स्याही है !
आज फिर मनुष्यता
दूनी उत्साही है !
नये वर्ष तुमसे कुछ
सीधा सम्बन्ध नहीं,
आये हो तो अपना पूरा हिसाब रखो
दैनंदिनी लिखो !
साथ चलो,
पर पहले अपनी करवट बदलो !