‘अभिनव इमरोज़’ का जन्म श्रद्धाभाव की कोख से 2012 में हुआ। अपने हिन्दी के टीचर प्रोफैसर त्रिलोक तुलसी की पुन्यतिथि पर स्मारिका निकालने की ज़िम्मेदारी मिलने पर ध्यान आया कि क्यों न इसे धारावाही मासिक पत्रिका का रूप देकर डॉ. त्रिलोक तुलसी की स्मृति को हिन्दी साहित्य जगत की आकाशगंगा बना कर अपने प्रेरणा स्रोत को चिरस्थायी बना दिया जाए। और यहां से शुरु हुई ‘अभिनव इमरोज़’ की यात्रा जो अपने साहित्यिक समर्पण एवं उभरती हुई प्रतिभाओं को प्रोत्साहन देती हुई आज तक निरंतर पाठकों को उपलब्ध हो रही है।
प्रत्यक्ष रूप से मैं अकेला ही इस पत्रिका का सर्वेसर्वा हूँ परन्तु परोक्षतयः लेखक, पाठक, मित्रगण मेरी तीनों बेटियाँ, नाती, नतिनी और मेरे नूरेचश्म अतुल इस पत्रिका की रीढ़ हैं। इस सब की प्रेरणा से ही मैं एक और हिन्दी मासिक पत्रिका ‘साहित्य नंदिनी’ का प्रकाशन करने में समर्थ हुआ जो केवल समीक्षाओं पर केन्द्रित है।
आशा और विश्वास के साथ साहित्य सेवा भाव को समृद्ध करता रहूँगा-
सम्पादक, देवेन्द्र कुमार बहल