दोहे
किरण यादव, 59, राजोकरी, पंकज टेन्ट हाउस के नजदीक, नई दिल्ली 110038, मो. 9891426131
चलो पथिक ! चलते रहो, रुकें नहीं ये पाँव ।
रुक जाना तुम बस वहीं, जहाँ नेह का गाँव ।।
झूठे सब वादे रहे, झूठी हर सौगन्ध ।
पता चला जब झूठ का, टूट गये सम्बन्ध ।।
नींदों में घुलते रहे, महके हुए गुलाब ।
आँख खुली तो उड़ गये, पल में सारे ख़्वाब ।
राम नाम इतना जपूँ, रखें राम जी पास ।
भव-बंधन से मुक्ति हो, पूरी हो यह आस ।।
उसने मुझको क्या दिया, कैसे रखूँ हिसाब ।
इक पल तो काँटे मिले, इक पल मिले गुलाब ।।
जला रखे हैं आज तक, उन यादों के दीप।
सागर तट से थी चुनी, जब दोनों ने सीप।।
दुनिया भर से कह फिरे, हम अपने जज्बात ।
मगर न कह पाये कभी, उनसे दिल की बात ।।
रे मन पगले! मान जा, चाह न ये संजोग ।
अपनापन देंगे कहाँ, खुद में सिमटे लोग ।।
जैसे फूलों में बसे, हरदम खुशबू साथ ।
थामे रहना तुम सदा, यूँ ही मेरा हाथ ।।