कविताएँ

रागिनी स्वर्णकार (शर्मा), इंदौर, मो. 9754835741


पहली बार छुआ सावन ने

’पहली बार छुआ सावन ने’

’देह लजीली लहक गयी’ 

’सिंदूरी स्वप्नों की माटी’

’नेह बूँद से महक गयी’ 


’भावों की अलबेली दुल्हन’ 

’प्रेम नगर से जब निकली’

’रूप सलोना मनभावन सा’

’पावस  पगडंडी फिसली’ 


’आँख रसीली शरमीली सी’ 

’पिय से मिलकर बहक गयी’ 

’सिंदूरी सपनों की माटी’

’नेह बूँद से महक गयी’ 


’गीली गीली वसुधा मन की’

’अंकुर प्रेम के उग आये’

’पवन परस एक पावन सा’

’रह रह कर अब सहलाये’


’अधरों पर जो  राग सजाया’

’मधुर रागिनी चहक गयी’

’सिंदूरी सपनो की माटी’

’नेह बूँद से महक गयी’


’सखियाँ ऊंचे पेंग हिंडोले’

’हिल डुल बेणी मदमाती’

’लहराया आँचल मस्ती में’

’अलकें मोती बिखराती’


’मयूरा नाच रहा कुंजन में’

’चंचल चपला चमक गयी’

’सिंदूरी सपनो की माटी’

’नेह बूँद से महक गयी’



मेरा प्रथम गीत

मन का मकरन्द उड़ा

कली कली खिल गई ।

हवाओं ने प्यार किया

खुशबुएँ बिखर गईं।


भीगे भीगे मौसम का 

सौंधापन भा गया ।

हरसिंगार हँस पड़ा

गुलमोहर शर्मा गया ।


धीमी धीमी फुहार से

वादियाँ सिहर गईं ।

हवाओं ने प्यार किया

खुशबुएँ बिखर गईं ।


बदलियों का आँचल 

हवाओं में उड़ गया ।

रेशमी अनुभूतियाँ

हृदय मचल मचल गया।


अम्बर की धड़कन बढ़ी

बिजलियाँ सी गिर गईं ।

हवाओं ने प्यार किया

खुशबुएँ बिखर गईं ।


झीलों के दर्पण में 

रूप का श्रृंगार हुआ ।

सरिता का वरण करने 

सागर तैयार हुआ ।


लहरों के संग संग 

भावनाएँ भी तिर गईं ।

हवाओं ने प्यार किया 

खुशबुएँ बिखर गईं ।



‘ढाई आखर लिख लेना’

मीरा और कबीरा की

बातें चित में रख लेना ।

मन के कोरे कागज पर 

ढाई आखर लिख लेना ।।


ये तन माटी का नश्वर

प्रेम अमर और निरन्तर

जाना पनघट जब गोरी

नेहिल गागर धर लेना


मन के कोरे कागज पर

ढाई आखर लिख लेना..!!


हटा चुनरिया आ जाओ

सागर बूँद समा जाओ

जब साँसों में हो स्पंदन 

चिर समर्पण कर लेना


मन के कोरे कागज पर

ढाई आखर लिख लेना..!!


भाव  गीत में जब ढालो ।

स्वर आलिंगन कर डालो ।

मूक नयन,व्यथित हृदय,

क्रोंच सा क्रंदन भर लेना।।


मन के कोरे कागज पर

ढाई आखर लिख लेना..!!


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