दोहे
सत्येन्द्र सिंह सत्य, दर्बी चाय बगान, सिल्चर (असम), मो. 9435898557
प्रिय की प्रीत पिरोय हिय, नित्य निहारूँ राह !
नैनो मे मेरे पले, पिया दरश की चाह!!
हिय पर मेरे छाय जब, यादों का मधुमास!
अधरों पर है नाचती, चुंबन की तब आस !!
आँखों को तुम दे गये, बूँदों की सौगात !
साजन सेज सजाय मैं, सिसकूँ सारी रात !!
कंगन खनके हाथ में, पायल करती शोर !
बहतीं जब पुरवाइयाँ, चटकें तन के पोर !!
मुझसे यौवन भार अब, नहीं सँभलता हाय !
बल खाये मेरी कमर, आँचल गिर गिर जाय !!
मन में मेरे गूँजता, प्रणय शंख का नाद !
परम पूज्य अब बन गयी, पिया तुम्हारी याद !!
कबीर छंद (सरसी छंद)
गजगामिन सी डग भरती तुम, जब चलती हो संग !
हर्षित होता हृदय हमारा, रग रग उठे तरंग !!
सावन की रिमझिम बूँदों सी, प्रिये तुम्हारी प्रीत !
हृदय वाटिका सिंचित करके, मन को लेती जीत !!
फूलों में तुम रजनी गंधा, मादक भरी सुगंध !
पुरवा के सँग अल्हड़पन का, तुमसे है अनुबंध !!
कोमल कली कमल की हो तुम, सुंदर सुघड़ सुशील !
प्रिये तुम्ही से रहे सुशोभित, मेरे मन की झील !!