सर्दी (बाल कविता)
डॉ. दलजीत कौर, चण्डीगढ़, मो. 9463743144
खरगोश भाई ने जुगत लगाई
बचना था उसे ठंड से भाई
माँ को अपनी बात बताई
ला दो माँ ! मुझे रजाई
माँ! एक टोपी भी बना दो
बाजार से कोट मँगा दो
मौजें ,मफलर और स्वेटर
मेरी सर्दी दूर भगा दो
खाने में हलवा बनाना
गर्म-गर्म सूप पिलाना
गर्म पानी से मुझे नहाना
घर से बाहर नहीं है जाना
ऐसी जब जुगत लगाई
तब सर्दी से बच गए भाई