सरसी छन्द गीत

रीना गोयल, सरस्वती नगर, हरियाणा, मो. 9466741154


कलम कहीं कब रुक पाती है, नभ में परे उड़ान।

कह जाती है प्रीत दिलों की, नयन लिए अरमान।

आड़े-तिरछे शब्द उकेरे, भर-भर उर में भाव।

अनबुझ, गहरे इन शब्दों से, मेरा रहा लगाव।

रंग बिखेरे सतरंगी भी, जब मन हो वीरान।

कह जाती है प्रीत दिलों की, नयन लिए अरमान।

जाने किसका बिम्ब उभारे, अक्षर अक्षर जाल।

कहीं लहर का नृत्य अनोखा, कहीं पवन दे ताल।

श्वास सुवासित करती सौंधी मिट्टी की मुस्कान।

कह जाती है प्रीत दिलों की, नयन लिए अरमान।

पीड़ा मीरा की लिखती अरु, राधा जी का प्यार।

वीर जवानों की करती है, कलम मेरी जयकार।

छन्द, गजल, गीतों को मेरे, देती है पहचान ।

कह जाती है प्रीत दिलों की, नयन लिए अरमान।

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