डल झील- एक चलता फिरता शहर (यात्रा संस्मरण)

  मीरा रामनिवास, -गाँधीनगर, अहमदाबाद, मो.  9978405694

जम्मू और कश्मीर की धरा को भारत का स्वर्ग कहा जाता है। जम्मू कश्मीर देश और विदेश के सैलानियों का सदैव से आकर्षण का केन्द्र रहा है। यहां का अद्भुत प्राकृतिक सौंदर्य बरबस ही सबके मन को मोह लेता है। बाॅलीवुड़ सिनेमा शूटिंग का भी प्रिय स्थल रहा है।‘‘परदेसियों से ना अँखियाँ मिलाना‘‘ शशी कपूर पर डल झील में फिलमाया गया गाना कैसे भूल सकते हैं।      

डल झील कश्मीर का हृदय समान है,प्रकृति का एक सुंदर उपहार है। डल प्राकृतिक झील है और कश्मीर पर्यटन का सबसे ज्यादा कमाई का स्त्रोत भी है। डल के चारों तरफ अनुपम सौन्दर्य बिखरा पड़ा है । पर्यटक हाउस बोट में रहने व शिकारा (छोटी नौका)में सैर करने खिंचे चले आते हैं। 

डल एक चलता फिरता शहर है कहें तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। डल झील अपने सीने पर एक छोटी सी दुनियां बसाये हुए है। किसी शहर की तरह ही लकड़ी के बोटनुमा घर हैं। जिन्हें हाउस बोट कहा जाता है। जिसमें घर जैसी ही सुविधाएँ  उपलब्ध हैं। 

सुबह की चाय से लेकर रात का खाना हाउस बोटों में उपलब्ध है। सबसे अच्छी बात ये है कि हाउस बोट के अग्र भाग में बैठ कर समस्त डल झील का नजारा लिया जा सकता है। डल में चलती फिरती बोटों में सैर करते सैलानी डल को जीवंत बना देते हैं। अपने हाउस बोट से निकल शिकारे (छोटी बोट)में बैठ कर डल की सैर कर सकते हैं।

शिकारे में बैठ कर जैसे ही आप आगे बढ़ते हैं ,आप को रास्ते में छोटी छोटी बोटों के अंदर चलती फिरती दुकानें मिलती हैं, इनमें स्थानीय पेय व खाद्य पदार्थ भी उपलब्ध हैं। आप कहवा (कश्मीरी चाय) पी सकते हैं ।

कहवा कश्मीरी पेय पदार्थ है जो केसर, दूध ,चीनी, बादाम आदि डाल कर बनाया जाता है। छोटी छोटी बोटों में चलती फिरती दुकानों से स्थानीय उत्पाद केसर, अखरोट, बादाम आदि खरीद सकते हैं। साथ ही ऊनी कपड़े, शाल, फिरन (कश्मीरी महिलाओं द्वारा पहनी जाने वाली वुलन ड्रेस) ले सकते हैं खाने पीने की तमाम चीजें जो आम शहरों में मिलती हैं बिस्कुट ,वेफर, सैंडविच सब खरीद कर खा पी सकते हैं।

जैसे जैसे आगे बढ़ते हैं,झील के अंदर भारत भर से और विदेशों से आये सैलानी बोटिंग का आनंद लेते नजर आते हैं। आपके आगे पीछे, दायें बायें छोटी छोटी नोंकायें चलती नजर आती हैं। ड़ल के आखिरी छोर पर दोनों तरफ दुकानें और लकड़ी से बने घर नजर आयेगें। दुकानों में कश्मीरी चादरें सलवार सूट, स्वेटर, शाल, लकड़ी और पेपरमैशी का सामान सजा है। घरों के आगे स्थानीय शाक सब्जियाँ उगा रखी हैं। डल के कोनों पर छिछले पानी में वाटर लिली भी लगे हैं। जो कमल जैसे दिखते हैं। 

डल से कुछ ही दूर शालीमार और निशात बाग स्थित है। मुगलकालीन ये बाग आज भी दर्शनीय है। निशात गार्ड़न स्थापत्य कला का सुंदर नमूना है। आप यहाँ फूलों के राजा गुलाब की बहुत सी किस्मों को कई रंगों में देख सकते हैं।यहाँ 200 साल पुराने वृक्षों को खड़े देख सकते हैं। बरसात के पानी को स्टोर करने की प्राचीन पद्धति का सुंदर नमूना देख सकते हैं।     

निशात गार्डन डल के पास परिवेश को और भी खुशनुमा बनाते हैं। दिनभर डल के अंदर और डल के आसपास गहमा गहमी रहती है। किंतु रात होते ही झील का रूप बदल जाता है। चांद जैसे झील में उतर आता है। चांद को देखते ही झील का पानी हिलोरे लेने लगता है। पानी में चांद की परछाई, आसमान में चमकते तारे,और बोटों में जलती लाइटें डल की खूबसूरती को और भी बढ़ा देते हैं। आपका हाउस बोट पानी में उठती लहरों के साथ हिचकोले खाने लगता है। बोट से लहरों के टकराने से लगातार निकलती चप चप की ध्वनि मधुर संगीत का आभास देती है।       

कश्मीर के प्रशासन द्वारा डल की सफाई और रख रखाव का खास ध्यान रखा जाता है। डल में फब्बारे लगाये हैं। चारों तरफ लाइटें लगाई गई हैं। जिससे डल की शामें खूबसूरत हो जाती हैं। यहाँ का हवामान आप को तरोताजा कर देता है। 

कश्मीर के लोग सीधे व सरल और मेहनती हैं। यहां अधिकतर तापमान कम रहता है। सर्दी से बचाव के लिए महिला व पुरुष दोनों लंबी और गरम कपड़े की पोशाक पहनते हैं। यहां का हवामान साल भर ठंडा बना रहता है। सर्दी में तो बर्फ बारी भी होती है।

डल के बाहर की दुनिया दूसरे शहरों जैसी ही है। बाजार है होटल हैं। घूम फिर सकते हैं,हर तरह का स्थानीय खाना खा सकते हैं। कश्मीरी पुलाव यहाँ का मुख्य पकवान है। जिसमें चावल के अलावा काजू किशमिस और केसर ड़ाली जाती है। प्रकृति के अप्रतिम सौन्दर्य से भरपूर कश्मीर की सैर को एक बार तो अवश्य ही जाना चाहिए। भारत के स्वर्ग को देखना तो बनता है। 

संस्कृत कवि कल्हण ने अपनी किताब राज तरंगणि में कश्मीर के इतिहास और सौंदर्य के बारे में बहुत ही सुंदर ढंग से लिखा है। 

..जम्मू कश्मीर के दर्शनीय स्थलों में डल झील, पहलगांव,सोनमर्ग, गुलमर्ग शालीमार और निशात गार्डन मुख्य हैं। कुछ प्राचीन मंदिर और धार्मिक स्थल भी हैं। जिनमें वैष्णो देवी और अमरनाथ प्रमुख है।

यूँ तो कश्मीर में रावी, तवी झेलम, चिनाव, सिंधु आदि नदियाँ बहती हैं। किंतु तवी नदी जम्मू कश्मीर की जीवन रेखा समान है। 

..केशर की खेती के लिए यहाँ की जलवायु उपयुक्त है। चैरी, अखरोट, सेव भी यहाँ पैदा होते हैं। सेव के बाग मन मोह लेते हैं।

..यहाँ पहुंचने के लिए रेल मार्ग, सड़क मार्ग और हवाई मार्ग सभी सुविधाएं उपलब्ध हैं। आसानी से पहुँचा जा सकता है। हम हवाई मार्ग द्वारा अहमदाबाद से दिल्ली होते हुए जम्मू पंहुचे। हमने दो रातें हाउस बोट में आनंद लिया। सभी दर्शनीय स्थलों गुलमर्ग, सोनमर्ग,निशात और शालीमार गार्डन,पहलगांव आदि को देखा।

खूब फोटोग्राफी की,बहुत सी स्मृतियां साथ लेकर लोटे। जम्मू कश्मीर के प्राकृतिक सौन्दर्य के अप्रतिम नजारे आज भी मन को गुदगुदा जाते हैं।  

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