ज़िंदगी के विभिन्न रंगों एवं शेड्स का इन्द्रधनुषीय प्रभाव छोड़ती है ‘यादों के किनारे’ की कविताएँ

समीक्षा

 धर्मपाल साहिल, समी. डाॅ. धर्मपाल साहिल, मो. 9876156964

किरण यादव, kiranyadav0181@icloud.com, Mob. 9891426131


कविता में बताया कम जाता है छुपाया ज्यादा जाता है। कविता बाह्य संसार की अपेक्षा भीतरी संसार की अधिक थाह पाती है तथा उसके अर्थ शब्दों से पार चले जाते हैं। कुछ-कुछ ऐसी ही विशेषताएँ समेटे हैं युवा कवयित्री किरण यादव का दूसरा काव्य संग्रह ‘‘यादों के किनारे’’ की कविताएँ।

किरण यादव ने अपने सच्चे-सरल-मासूम पवित्र विचारों को कम से कम शब्दों में किसी ‘आईसवर्ग’ की भांति भावनाओं के सागर पर तैरा दिया है। इसमें संवेदनाएँ बहुत गहरी हैं। रसायन शास्त्र के सूत्रों की भांति ख्यालों को बांध दिया है। बानगी देखें-

‘‘अंबर, पहाड़, ऊँचाई / नदियाँ, झरने, सागर की गहराई / लहरें उठती लेतीं अंगड़ाई / तेरा मेरा प्रेम / सुख-दुःख, मिलन ज़ुदाई।’’

इस विषय पर बड़े-बड़े ग्रंथ लिखे गये हैं, लेकिन किरण यादव ने सारे सिद्धांत, समूची दार्शनिकता पाँच पंक्तियों में समेट दी हैं।

छंद मुक्त कविता में बेशक शाब्दिक लयात्मकता नहीं होती है। इन विचारों की मारकक्षमता पाठक की संवेदना को झकझोड़ती है। उसे सोचने के लिए मजबूर करती है। इन छोटी-छोटी कविताओं में छुपी संवेदना पाठक के अन्तर्मन से जुड़ कर अपनी काव्यात्मकता का अहसास कराती है। इस संग्रह की अधिकांश कविताएँ पाठक मन को उद्वेलित करने में सक्ष्म हंै। अन्तर्मन की यात्रा पर दूर बहुत दूर ले जाती हैं। इन कविताओं की गहरी संवेदनशीलता, मार्मिकता तथा काव्यात्मकता देखते ही बनती है। साधारण शब्दों को गहरे अर्थ देकर प्रतीकों में रूपांतरित कर देने की प्रतिभा है किरण यादव के पास। जीवन के विभिन्न रंगों, सरोकारों, शेड्स को काव्यात्मकता के साथ प्रस्तुत करने हेतु किरण यादव बाधाई की पात्र हैं। उज्जवल भविष्य हेतु शुभकामनाएँ  

पुस्तक का मुख्य पृष्ठ साहित्य नंदिनी के इसी अंक के आवरण पृष्ठ 2 पर दखें

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