उसका जाना
वह इस तरह चली जाएगी
अचानक
उसकी आँखों के आगे
उसे गुमान भी न था
वह एक पल थी
अगले पल नहीं थी
डाक्टर-मित्र ने आते ही नब्ज देखी
आँखों की पुतलियों पर टॉर्च की रोशनी फेंकी
और पलकें बंद करते हए बोला
आई.एम.सॉरी
तीन शब्दों में पूरा जीवन
कैसे सिमट जाता है
उसने आज जाना
वह वहीं जमीन पर बैठ गया
मित्र की आँखों में संवेदना मिश्रित
सहानुभूति छलछला रही थी
बोला-चूड़ियाँ और अंगूठी उतार लो
बाद में दिक्कत होगी
यह सुनकर
वह पल उसकी आँखों के आगे कौंध गया
जब उसने वह अंगूठी उसे पहनाई थी
‘‘और हाँ बेटे को फोन कर दो
पहली फ्लाइट से आ जाए’’
मित्र की आवाज कहीं दूर से आई
‘मई की गर्मी है
भाभी को अस्पताल के शवघर में
रखना होगा’ उसने जोड़ा
शवघर में बेहद ठंड थी
एक बड़े रेफ्रिजेरेटर की तरह
उसका एक रैक खुला
और वह लोहे के स्ट्रेचर समेत
उसमें समा गई
अब उसके हाथ में एक पर्ची भर थी
नंबर था पाँच
कोई नाम नहीं था
अब वह सिर्फ एक नंबर भर रह गई थी
इतनी खामोश और ख़ौफनाक जगह में
इतनी रोशनी भी है
उसने सहम कर सोचा
रातभर वह सो नहीं पाया
वह जानता था जीवन क्षण भंगुर है
और शरीर नश्वर
आत्मा अजर अमर है
पर वह उसे छू तो नहीं सकता
फिर वह रोने लगा
धीरे धीरे मौन-मुखर-अविरल
रोकर उस का मन हल्का हो गया
एक फूल की मानिन्द
अब वह आँखें मूंद
प्रार्थना की मुद्रा में बैठ गया
अंततः विनय और विलाप एक ही तो हैं
अब वह तैयार था
अगले दिन का
और लोगों का
सामना करने के लिए
अगली सुबह अख़बार में
शोक समाचार छपा
फोटो पंद्रह साल पुरानी थी
लाल दुपट्टे में
कितनी तो सुंदर लग रही थी वह
मित्र और परिजन आ गए
बेटा माँ को अस्पताल से
घर ले आया
आते ही बोला-
अब कोई और माँ की आँखों से
देख पाएगा
पल भर के लिए वह
थोड़ा खुश जैसा हुआ
फिर बेहद उदास हो आया
श्मशान में थोड़ी भीड़ थी
वह अकेला था
लोग गले मिले-सांत्वना दी
नम आँखों की धुंध के पार
कुछ चेहरे और नाम याद रहे
कुछ चेहरों को वह
नाम नहीं दे पाया
बेटे ने माँ को मुखाग्नि दी
एक लपट ऊपर उठी
उसे वर्षों पहले की
पवित्राग्नि की याद हो आई
अगली सुबह फूल चुनने लौटे
एक भरा पूरा जीवन
एक छोटे से
कलश में समा गया
हरिद्वार में बेटे ने अस्थियाँ
गंगा को सौंप दीं
पल भर के लिए उसका अक्स
जैसे पानी में झलका
वह बेटे से बोला-
मेरी अस्थियाँ भी
यहीं प्रवाहित करना
शायद हम कभी किसी खेत में
फिर मिलें
नई फसल की खाद बनकर
बेटे ने सुना नहीं
वह माँ के रक्त की आवाज
अपनी धमनियों में सुन रहा था
और उसे दूर पानी में
ओझल होते हुए देख रहा था