नव सृजन (गीत)
सूर्य प्रकाश मिश्र, वाराणसी, मो. 09839888743
दिन ढले एकादशी के
भर गया श्रृंगार तन में
मन रमा आनन्द वन में
नवल लय नव ताल नव सुर
प्रकृति रत है नव सृजन में
हो गये अवयव रसीले
आम्रपाली षोडशी के
गा रही हैं भावनाएं
अनगिनत संभावनाएं
रंग बिरंगी मदन ऋतु से
झर रही हैं कामनाएँ
रमण करता पुष्पधन्वा
संग अपनी प्रेयसी के
सज गई फूलों की क्यारी
हो गये भौंरे पुजारी
रास रंग के देवता की
आरती सबने उतारी
बज उठे नूपुर भुवन में
मेनका के उर्वशी के