एक दिन तुम ही जीतोगे
डॉ. निशा नंदिनी भारतीय, तिनसुकिया, असम, email : nishaguptavkv@gmail.com
हार ना मानो लड़ते रहो
सावधान हो ध्यान से।
एक दिन तुम ही जीतोगे
महामारी के वितान से।
माना संकट का साया है
धरती की धरोहर पर।
मंज़र उजड़ा-उजड़ा है
हर घर की चौखट पर।
बादल खुशियों के छाएंगे
संस्कारों की छांव से।
हार ना मानो लड़ते रहो
सावधान हो ध्यान से।
एक दिन तुम ही जीतोगे
महामारी के वितान से।
रूठ रहे जब सब अपने
घायल होता अंतर्मन।
शांत खड़े सब देख रहे
निष्कासित होता है तन।
जीवन कितना छोटा है
ज्ञान मिला लाचारी से।
हार ना मानो लड़ते रहो
सावधान हो ध्यान से।
एक दिन तुम ही जीतोगे
महामारी के वितान से।
रात अमावस पूरी होगी
पूनम प्रकाश ले आएगी।
अंधकार से लेकर जीवन
कोमल कली मुस्कायेगी।
विघ्न-बाधा सब पार करेंगे
हौसलों की उड़ान से।
हार ना मानो लड़ते रहो
सावधान हो ध्यान से।
एक दिन तुम ही जीतोगे
महामारी के वितान से।