कब लोगे खबर मेरे राम ?
अन्नदा पाटनी, -मैरीलैंड, अमेरिका,
ईमेल : Annada.patni@gmail.com
कुछ तो गड़बड़ है भगवन् !
ऐसा कैसे कि सबको दिख रहा है,
पर तुम्हें दिखाई नहीं दे रहा ।
चारों ओर करुण चीत्कार है ,
ऐसा कैसे कि सब सुन पा रहे हैं
पर तुम्हें सुनाई नहीं दे रहा ।
कोरोना के झाँसे में आकर,
तुम्हारे दूत जो उठा लाए हैं डॉक्टर धरती से,
अपनी जाँच क्यों नही करा लेते उन्हीं से ?
फिर भी नहीं समझ आए तो,
स्वयं ही उतर आओ नीचे पृथ्वी पर,
देखो तो क्या हो रहा यहाँ पर।
चारों ओर हाहाकार मचा है,
मौत ने कैसा खेल रचा है ।
रोज़ कोई न कोई यहाँ मरता है,
किसी का पिता, किसी की माँ , पति,
किसी का पुत्र, पुत्री, भाई, बहन या संबंधी,
कल तक जो स्वस्थ, दुरुस्त थे,
कोरोना की बलि चढ़ गए ।
जाने कितने घर उजड़ गए,
कितने बच्चे अनाथ हो गए ।
माँ बाप बिना कंधे के चले गए ।
न कोई मुखाग्नि दे पाया
न कोई अंतिम दर्शन कर पाया ।
कोई दिल, कोई आत्मा ऐसी नहीं
जो द्रवित न हुई हो,
कोई आँख ऐसी नहीं
जो ज़ार ज़ार न रोई हो ।
था विश्वास कि सर्वशक्तिमान हो,
कोरोना से मुक्ति दिलवाओगे,
न जाने क्यों कर रहे विलंब तुम,
किस बात का इंतज़ार कर रहे तुम ?
क्या तब जागोगे जब यह उर्वर धरा
इंसानों से रिक्त हो बंजर हो जाएगी ?
बहुत हो गया भगवन् सहने की सीमा होती है,
भक्ति और समर्पण की भी सीमा होती है।
मन में है आक्रोश भरा और क्रोध है भारी,
अब अधिकार जमाने की भक्तों की है बारी,
खरी खोटी तुम्हें सुनाने की है लाचारी हमारी।
पत्थर से तुम्हें प्रभु बना कर पुजवाया हमने,
देर नहीं लगेगी फिर तुम्हें पाषाण बनाने में ।
चरम सीमा पर है व्यथा हमारी ,
समझो क्या है मनःस्थिति हमारी,
बहुत विवश हैं,क्षमा करो धृष्टता हमारी ।
हमारी आस्था और विश्वास को कर सुदृढ,
कोरोना पर करो अपना शक्तिप्रदर्शन।
चक्र सुदर्शन ले हाथ में
करो कोरोना का संहार ।
झौंक उसे तीव्र ज्वाला में
कर दो उसका दाह संस्कार ।