ग़ज़ल
विजय 'अरुण', Mumbai, Mob. 9892785994
ये जो मेरा सोटा है
छोटा है पर मोटा है।
फटी जीन पर मत इतरा
मेरा फटा लंगोटा है।
मास्क पहन मेरे प्यारे
मास्क कफ़न से छोटा है।
ग़ैर लगा जो उस के मुंह
अब सिगरेट, कल टोटा है।
यार झुका अब मेरी तरफ़
बेपेंदी का लोटा है।
शादी तक सोने का था
अब जो सिक्का खोटा है।
लोग कहें बेसुरों का तो
'अरुण' अनूप जलोटा है।