विकलांगता
विकलांग होना मुझे परेशान नहीं करता
परेशान नहीं करता मुझे, मेरा धीरे चलना,
न सुन पाना या जग की सुंदरता को, न देख पाना,
तुम्हारे मन की बातों को न सुन पाना
या स्वयं को अभिव्यक्त न कर पाना।
परेशान करता हैं मुझे वो भाव,
जो अपने रूठे शनि को मनाने के लिए
ढूंढता है मुझे, हर गली, सड़क और चौराहों पर
मुझे दान देकर खुद को तृप्त महसूस करता हैं।
बहुत परेशान करती हैं मुझे वो सोच
जो विकलांगता के संघर्ष से उपजी
मेरी विशिष्ट जीवन शैली को नायक होने का नाम देती हैं
समझ के स्तर पर मुझे बेचारगी के गर्त में धकेल देती हैं
परेशान करता है वो व्यवहार
जो समाजिक महफिलों में मुझे सहर्ष स्वीकारता है
और एकल स्नेह दायरों में
मुझे दुत्कार देता हैं
परेशान करता हैं तुममें सहजता का अभाव
जो मुझसे इंसान होने के भाव को छीन लेता है
बस इतनी ख्वाहिश हैं
कि किसी भी सोच, भाव या व्यवहार से पहले
एक विकलांग को एक इंसान मान लेना......
सुमन शर्मा, शोधार्थी, दिल्ली विश्वविद्यालय