धरा तले
जा पहुंचे हो तुम चांद के दर पर
लेकिन
रहना धरा तले कदम
सपनो
में केवल उड़ते
शेखचली
के पैर हवा में
खरी
कसौटियों का सामना
कैसे
कर पाएगा।
परिश्रम
के सानिध्य में
रहना
होगा
किस्मत
को कभी दोष मत देना
जीवन
की किताब ना पढ़ पाने का
मुझे
गलत बहाना ना देना
मैने
प्रज्ञा चक्षु को भी पढ़ते देखा है।
कदम
चलाकर केवल सफर कटता है
दिमाग
दौड़ाने पर मंजिल पा लोगे।
चांद
की मंजिल पाना चाहोगे
तो
गिरोगे तो भी
सितारों
की गोद में।
देना
पड़ेगा बलिदान
हर
उस चीज का
जो
मनोरंजन का तुम्हारा साधन है।
तुम्हारी
प्रतिस्पर्धा खुद से है
हर
दिन नया
हर
रात नई
कुछ
करो मुकम्मल काम
गर्वित
हो जिस पर
तुम्हारा
बागबान।
वक्त
की सुई से बढ़कर
कोई
धारदार सुई नही
डरो
वक्त से,उसकी चाल से
सदुपयोग
करो ,
हर
पल का,वक्त की कीमत करना सीखो
वरना
जानवर भी दो जून खाकर डकार मार लेता है।
इस
पूरे कायनात में
कोई
अयोग्य नहीं
ईश्वर
की रचना हो तुम
उसे
गौरव दो अपनी संरचना का।
क्या
हुआ अगर पसीना उतरा
मोती बन चमकेगा एक दिन।