वो बचपन की कहानी

वो बचपन की कहानी मुझे उधार दे दो,

बदले में चाहे तुम एक सौ हज़ार ले लो।

रोना चिल्लाना भी रूठना भी मनाना भी,

नहीं तो सारे घर को सिर पर उठाना भी।

शिकायतों से भरा मम्मी का खज़ाना भी,

इसके बावजूद खींच गले में लगाना भी।

रुठे हुए बचपन का मुझे तुम सार दे दो,

बदले में चाहे तुम एक सौ हज़ार ले लो।

दादी के पास सरक जाने का बहाना भी,

प्यारी सी आवाज़ में मम्मी ने बुलाना भी।

नखरे करना और हमने फिर इतराना भी,

मम्मी ने प्यार से लपक कर ले जाना भी।

 

अमृत पाल सिंह गोगिया पालीलुधियाना, मो. 9988798711











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