शब्दों का कारवाँ-

 आंख में ज्वाला और सीने में त्रिशूल रखते हैं,

हम भी अपनी जिंदगी के कुछ उसूल रखते हैं

हम वह हैं जो खुद को दिखाते हैं रास्ता, 

बेकार की बातों के लिए लफ्ज फिजूल रखते हैं 

जो करते हैं दिल से मोहब्बत हमसे,

अपने आपको हम उनमें मशगूल रखते हैं

हम नहीं कहते बड़े-बड़े शायर कहते हैं,

अल्फाज आपके दिल में एक रसूल रखते हैं

हमारा भी दिल है कोई पत्थर नहीं,

हम भी चाहने वालों की तस्वीर वसूल रखते हैं।


शिवांगी जैन, युवा लेखिका / साहित्यकार, लखनऊ, 

email : writerportal1988@gmail.com


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