चोट
डॉ. वेद प्रकाश अमिताभ, अलीगढ, मो. 9837004113
उम्र की ढलान पर
जरा जी चूक
काफी नहीं है क्या
फिसल जाने के लिए
चोट खाने के लिए
चोट तन पर लगे
या मन पर
आसानी से ठीक नहीं होती
चैथेपन में
लेकिन यह भी सच है कि
एक छड़ी की शरण
किसी सपने का वरण
नन्हीं अँगुलियों की छुअन
ताकत बन जाती है
आगे बढ़ने के लिये
फिसलन से बचने के लिये
तब पीछे सरकता अतीत
बोझ नहीं रहता
न औरों पर
न अपने पर