जब हम बच्चे थे
वो
भी क्या दिन थे अच्छे
जब
हम सब थे बच्चे
खेल
कूद में ही तो
दिन
हमारे कटते थे
किसी
की अमियां किसी की मिर्ची
साथ
बैठ कर चखते थे
वो
भी क्या दिन थे अच्छे
जब
हम सब थे बच्चे
क्या
है अपना क्या पराया
कुछ
नहीं समझते थे
मेरे
मामा सबके मामा लगते थे
किसी
की साइकिल कोई सवारी
झूम
के हम तो चलते थे
मिले
जो कोई रस्ते में
दिल
खोल के उससे मिलतें थे
वो
भी क्या दिन थे अच्छे
जब
हम सब थे बच्चे
जाति
पात धर्म भेद में
हम
सब कच्चे थे
फिर
भी दिल के रिश्तों में
हम
सब सच्चे थे
होली
ईद दिवाली
मिल
कर साथ मनाते थे
वो
भी क्या दिन थे अच्छे
जब हम सब थे बच्चे
राघवेंद्र सिंह, वाराणसी, मो. 9794862693