नरेन्द्र मोहन जी की बड़ी बेटी
सुमन पंडित, राजौरी गार्डन, नई दिल्ली, मो. 9818517717
उस पार
आधी सोई
आधी जागी
देखती हूँ
एक स्वपन जो
स्वप्न है भी
और नहीं भी
दुःख और सुख
अंत और आरम्भ
विरक्ति और आसक्ति
गहरी उदासी और उल्लास
मृत्यु और प्रेम
मृत्यु के ठीक सामने
खड़ी धड़कती जिन्दगी
एक ही समय आंसू
और हंसी साथ-साथ
दुःख का भयानक समंदर
मेरे भीतर
जीवन की
उमंग लेती लहरें भी
एक ही समय
एक ही साथ
लगता है
ना यह सच है
ना वो
पर सच तो हैं
दोनों ही
कभी लगता है
आधी नींद में
चली जा रही हूँ
सब कुछ
धुंधला सा है
कोहरे में लिपटी
सांझ सा
उस पार का
कुछ साफ नहीं दिखता
मैं खड़ी हूँ
चुपचाप
ठिठकी सी
दहलीज के इस पार