नरेन्द्र मोहन जी की छोटी बेटी
मनीषा सारदा, यमुना नगर, मो. 9416152887
पहेली
सूझता नहीं कुछ
शब्दों के मकड़जाल में
छटपटाते संवेग
घुप्प अन्धेरे में
तलाशती उजाला
मौन होते शब्द
कैसी पहेली है ये?
मोह-जाल
या जीवन-यथार्थ
कहाँ जाऊँ
कुछ ना कर पाने की वेदना
बेबस निहारती
सजीव से निर्जीव
में बदले रूप को
कभी सोचा ही ना था
जीवन की क्षणभंगुरता को
इतने करीब से देखूँगी
लगा
अभी धीरे से हाथ उठा
सहलाएँगे अपने बालों को
और
फिर माँगेंगे कागज़ और क़लम
एक अदद चाय के संग