कविता

डाॅ. उमा त्रिलोक, मोहाली, पंजाब, मो. 9811156310

सजदा

है धूप में तू, और छाँव में तू

ओस की बूँद में तू

बरसात में तू

हरी दूब में तू


दरखतों में तू, पत्तों में तू

फूल में तू, टहनी के शूल में तू

कैसे तुझे सजदा करूं

कण कण के नूर में तू


नदी के बहाव में तू

ठहरे हुए ताल में तू

घुंघूरू की खनक में तू

ढोलक की थाप में तू


मिलन में तू, वियोग में तू

होश में तू, जुनून में तू

कैसे तुझे सजदा करूं

कण कण के नूर में तू

आँसू भरी आँख में तू

बच्चे की मुस्कान में तू

दुआ में तू, ध्यान में तू

आरती में तू, दिए की लौ में तू


ममता के मोह में तू

प्यार में सिंगार में तू

कैसे तुझे सजदा करूं

कण कण के नूर में तू


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