कविता
डाॅ. उमा त्रिलोक, मोहाली, पंजाब, मो. 9811156310
पीड़ा की परिभाषा
यदा कदा हम सब ने भोगी है पीड़ा
भूख में पीड़ा
वियोग में पीड़ा
तिरस्कार में पीड़ा
छिपे हुए अट्टाहास में पीड़ा
खो जाने की पीड़ा
हो कर भी, न होने की पीड़ा
साहित्य में पीड़ा, इतिहास में पीड़ा
भूत में, वर्तमान में पीड़ा
पीड़ा, पीड़ा, पीड़ा
आज
दिखाई जब, उस
बिन हाथों वाली बच्ची ने
बनी हुई अपने पैरों से
एक सुंदर सी तस्वीर
खोजी मैंने पीड़ा
उसकी मुस्काती आँखों में
नहीं मिली पीड़ा
मिला,
तो केवल उपलब्धि का एक चमकता तार
अचानक, बदल गई
पीड़ा की परिभाषा
जान लिया तब मैंने
परिस्थिति में नहीं है पीड़ा
पीड़ा है
अभिवृति में
पीड़ा है
मनोदृष्टी में
अर्थ समझने में