कविता
डाॅ. उमा त्रिलोक, मोहाली, पंजाब, मो. 9811156310
देखना कहीं न जाए, खो
गरीब की रोजी का प्रावधान
नन्ही बच्ची की मुस्कान
लाचार हृदय में बस्ती आस
मन का प्रमोद और उल्लास
लावण्य जीवन का, उगती प्यास
सपनों से भरा भरा उजास
माँ की ममता का विश्वास
वृद्धा के आशीष का न्यास
देखना कहीं न जाए खो
अन्न धन न दे पाओ जो
दे देना तुम
आदर अवसर
साहस आभार
दिला देना सुविधा और न्याय
रह न जाए कोई बिना उपाय
दे आना तुम सांत्वना उनको
भर झोली सद्भावना उनको
यह भी न कर पायो जो
रख लेना तुम दुआओं में उनको
रख लेना तुम दुआओं में उनको