कविता


प्रकाश मनु

545 सेक्टर-29, फरीदाबाद (हरियाणा), पिन-121008

मो. 09810602327, ईमेल – prakashmanu333@gmail.com

घर की मल्लिका

 

तीन दिनों के लिए गई है

इस घर की मल्लिका

और ये तीन दिन कर्फ्यू के दिन हैं।

 

इन तीन दिनों में कोई न आना

उसके पीछे...

कि इन तीन दिनों में यह घर

फर्श पर फैले मैले, मुचड़े कपड़ों

जूठे, गंधाते बरतनों उतरे चेहरों

और रुकी और थकी-थकी बासी हवाओं

में गुम हो चुका है।

 

सब कुछ है यहाँ मौजूद

पर सब पर तारी उदासी की एक सतर

जो होंठों से उतरती ही नहीं।

 

अलबत्ता इस सारी टूटन और उदासियों में

आर-पार गुजरता एक ही सुख

जो टहल रहा है

किसी राहत वैन की तरह यहाँ से वहाँ...

 

कि तीन दिन बीतते ही वह लौटेगी

वह जो इस घर की रानी है महारानी

और उसके एक दृष्टिपात से

यह रुका-रुका, थका घर

अपने पहियों में लगी जंग और जकड़न छुड़ाकर

फिर चल पड़ेगा अपनी सदाबहार लय-चाल में...

उदासियों की गाढ़ी सतर को तिर्यक् काटते हुए। 

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