सहचर
अशोक गुजराती, ठाणे, महाराष्ट्र, मो. 99717 44164
सहचर
भयंकर दर्द था बायें पैर में
सूजन आ गयी थी पंजे में
उसे कुछ ऊंचाई पर रखने के इरादे से
मैंने टेबिल का सहारा लिया
मेरे जाने-अनजाने
दाहिना पांव उठा और उसके
समकक्ष जा टिका
थोड़ी ही देर में वह बायें से यूं जा लिपटा
ज्यों प्रेमिका का आलिंगन कर रहा हो प्रेमी
हौले-हौले लगा सहलाने
उसकी उंगलियों को
फिर नीचे टखने तक
बायां पंजा भी उसे मानो दे रहा था
स्पर्श का जवाब मौन प्रेयसी-सा
उनका यह आपसी प्यार देख कर
चकित था मैं
हालांकि ये सारी क्रियाएं
करा रहा था मेरा ही अवचेतन मस्तिष्क
गोया वह उनका ईश्वर हो!