ग़ज़ल
सुश्री किरण यादव, दिल्ली, मो. 98914 26131
ख़ुशबुओं का कोई सफ़र दे दे
ऐ हवा! डसकी कुछ ख़बर दे दे
ज़िन्दगी की अँधेरी गलियों को
चाँदनी का कोई नगर दे दे
घर को लौट आये मेरा परदेसी
इन दुआओं में वो असर दे दे
उसके बिन ज़िन्दगी अधूरी है
उसको जाकर कोई ख़बर दे दे
मुझको हर सिम्त वो नज़र आये
ऐ खुदा! मुझको वो नज़र दे दे
****
हाँ मुख़ालिफ़ है तीरगी के वो
हक़ में रहता है रौशनी के वो
ख़ुद से भी दूर-दूर रहता है
इश्क़ में चूर है किसी के वो
किससे मिलकर ग़मों को भूला है
गीत गाता है अब ख़ुषी के वो
फूल जैसा खिला-सा है चेह्रा
साथ रहता है किस कली के वो
दूरियाँ अब बढ़ेंगी लाज़िम है
ख़्वाब लेता है दोस्ती के वो