कविता
डाॅ. सीमा शाहजी, सहायक प्राध्यापक हिन्दी, थांदला, जिला झाबुआ म.प्र. 457777, मो. 9165387771
ताकि मैं लिख सकूँ...
प्रभु तुम्हारी कलम
दे दो
मेरे हाथ
कुछ पल के लिए
ताकि मैं लिख सकूँ
कुछ ऐसा...
कि बनी रहे बच्चों की
निश्छल हंसी
कि बना रहे सुहाग बहनों का
मैं लिख सकूँ
कुछ ऐसा...
कि किसी पिता को न देखनी पड़े
अपने जवान बेटे की मौत
या किसी माँ की आँखें
न पथरा
सके
अपने बेटे के इन्तजार में,
मैं लिख सकूँ
कुछ ऐसा...
कि मानव न बने
मानव का दुश्मन
चारों ओर न फैले
दुःख का क्रन्दन
तुमने यह दुनिया
बनाई प्रभो
और बना
दिए इन्सान,
पर भूल गए
संवेदनाएँ भरना,
अपनी ही कृति में
भूल गए
तुम
इन्सान का
इन्सान के प्रति कर्तव्य...
अब मुझे लिखने दो
भाग्य इनका,
ताकि मैं लिख सकूँ
अमन चैन और सुकून
इनके भाग्य में
और कलम के साथ
तुम्हें सौंप सकूँ
ऐसी दुनिया
जैसी तुमने
शुरुआत में
बनाई
थी...।