ग़ज़ल
बालस्वरूप 'राही' : नई दिल्ली, फोन नं. 011 27213716
हुस्न ये लाजवाब, क्या कहिए,
मात है माहताब, क्या कहिए
पानी-पानी है फूल नरगिस का
तेरी आंखों की आब, क्याकहिए।
चंपई शाम पर घटा काली,
तेर रूख पर नक़ाब क्या कहिए!
तू जो हंस दी को कौंध कर टूटीं,
बिजलियां बेहिसाब, क्या कहिए!
आंख दम-भर को ठहरती ही नहीं,
तेरी बाग़ी शबाब, क्या कहिए!
मेरा यह आखि़री गुनाह, तेरा
पहला-पहला सवाब, क्या कहिए!