कविता


सुश्री अंजना वर्मा
ई-102,रोहन इच्छा अपार्टमेंट,‌भोगनहल्ली
विद्या मंदिर स्कूल के पास, बैंगलुरू -560103


यह जो मिठास है

माया भी नारी है 
वह बहुत सुन चुकी है 
अपनी मोह-ममता की जंजीर के लिए 
जिसमें बाँधकर वह रखती है दुनिया को

पर उसे मत कोसो
वह बेचारी तो कथा लिखती है
सांसारिक लीला की 
फिर मंच पर उसे साकार करती है 
सब उसीके लिखे कथानक हैं 
सब उसीके लिखे संवाद बोल रहे हैं 
सब उसीके इशारे पर 
निभा रहे हैं अपनी भूमिकाएंँ

वह न रहे तो 
यह जो मिठास है न रिश्तों की?
वह न रहेगी
जीने की जरूरत किसीको न होगी
न रहेगी यह हँसती-खेलती दुनिया

माया-ममता नहीं है त्याज्य
वही चलाती है 
जीव और जीवन की गाड़ी
माया से इतनी मित्रता तो करो 
कि प्यार का रंग बना रहे 
उसके बिना भक्ति भी न होगी 
भक्ति भी माया है

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