कविता


 डॉ.  श्यामबाबू शर्मा

शिलाँग, मो.  9863531572

पतिव्रता  

सत्यवान सावित्री के बीच 

मर्यादा और मान के बीच 

संवरण और सृजन के बीच

सनातन समानता

संस्कार संस्कृति के बीच

सुहाग और संतान के बीच 

शिव-शिवा 

अनुसूया शकुन्तला के बीच

गार्गी अपाला 

सीता सैरन्ध्री के बीच

जिया और कंदील के बीच

धरती आकाश के बीच 

परायण और पारण के बीच 

स्थापित है पतिव्रता 

कुछ कुछ वैसे 

जैसे देह संदेह के बीच 

पुलक प्रेम पूर्णता

तंत्री का नाद

शिव की शक्ति

जीवन की साधना

आचरण की मर्यादा

और सृष्टि का बीज।



             

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